कक्षा 5 हिंदी व्याकरण अध्याय 21 अनुच्छेद लेखन

कक्षा 5 हिंदी व्याकरण अध्याय 21 अनुच्छेद लेखन के लिए उदाहरण और अभ्यास के लिए मुख्य बिंदु सीबीएसई और राजकीय बोर्ड के सत्र 2024-25 के अनुसार संशोधित रूप में यहाँ दिए गए हैं। छात्र कक्षा 5 की हिंदी ग्रामर में अनुच्छेद लेखन के लिए अभ्यास पुस्तिका में दिए गए अनुच्छेदों का उपयोग करके इसे अपने शब्दों में लिखने का अभ्यास करें।

अनुच्छेद लेखन

अनुच्छेद लेखन एक कला है। किसी एक अनुभव, विचार आदि पर कुछ पंक्तियोँ लिखना ‘अनुच्छेद-लेखन’ कहलाता है। यह निबंध के समान लंबा (बड़ा) नहीं होता।
अनुच्छेद लेखन में ध्यान देने योग्य बातें
अनुच्छेद लिखते समय निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना आवश्यक है:
1. विचारों को क्रमानुसार लिखना।
2. सरल एवं सुबोध भाषा का प्रयोग करना।
3. सुगठित एवं संक्षिप्त लिखना।

प्रातः काल का दृश्य

प्रातः काल निकलते सूर्य को देखना मनोहारी होता है। उस समय प्रकृति की अनोखी छटा चारों ओर फैली होती है। खुले आकाश में कहीं-कहीं धूमिल तारे दिखाई देते हैं। पक्षी अपने घोंसलों से बाहर आकर चहचहाते हुए उड़ने लगते हैं। ठंडी और अच्छी हवा बहती है, पेड़-पौधे आनंद से झूमते प्रतीत होते हैं।

सूर्य की किरणें पड़ने से प्रत्येक वस्तु सुनहरी लगने लगती है। हरी-हरी घास पर पड़ी हुई ओस की बँूदें मोती-सी चमकती हैं। बाग-बगीचे में रंग-बिरँगे फूल मुस्करा रहे होते हैं। वास्तव में प्रातः काल का दृश्य मन में आशा और उमंग भर देने वाला होता है।

वर्षा में भीगने का अनुभव

वर्षा में भीगने का भी एक अपना आनंद है। इस आनंद में चार चाँद उस समय लगते हैं जब मौसम गरमी का हो। ऐसा ही एक अनुभव मुझे कुछ दिन पहले हुआ। दोपहर को मुझे जरूरी काम से बाजार जाना पड़ा। चिलचिलाती धूप सब कुछ जला देने पर तुली थी। पसीने से तर-बतर मैं बाजार की ओर जा रहा थी।

अचानक आकाश में काली घटा-सी छा गई और देखते ही देखते जोरों की वर्षा होने लगी। यद्यपि मैं बुरी तरह भीग गई थी, मगर इस भीगने में एक अलग ही मजा आ रहा था। शरीर की सारी तपन दूर हो गई। उस समय तो कपड़ों का भीगना सुखदायी लग रहा था। मन-मस्तिष्क तरोताजा लग रहा था। भीगने के बाद ऐसा लग रहा था कि मानों नवजीवन मिल गया हो।

नम्रता

नम्रता कमजोरी का नहीं, वरन् विद्वत्ता, बुद्धिमता और योग्यता का चिह्न है। जिस व्यक्ति को जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती जाती है, वह और भी नम्र होता जाता है। इस प्रकार नम्रता सफलता की प्रतीक है। अधिक फलों वाला वृक्ष हमेशा झुकता है।

जल वाले बादल नीचे झुक जाते हैं और वर्षा करते हैं। इनसे हमें यह शिक्षा मिलती है कि यदि हम समाज और देश की सेवा करना चाहते हैं तो हमें नम्रता को अपनाना होगा। नम्रता सभ्यता और संस्कृति का शृंगार है। नम्रता का आवश्यक अंग है: विनीत बने रहना। वास्तव में नम्रता मनुष्य के व्यक्तित्व का शृंगार है।

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