Class 8 Hindi Grammar Chapter 8 कारक (Karak). Here, we will study about कारक and कारक ke bhed with examples and explanation updated for session 2025-26. Practice here with examples and definitions related to various terms of Karak. Study about all eight types of karak with suitable examples.
कक्षा 8 हिन्दी व्याकरण पाठ 8 कारक के भेद
| कक्षा: 8 | हिन्दी व्याकरण |
| अध्याय: 8 | कारक के भेद |
संज्ञा के विकार – कारक
संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से वाक्य के किसी दूसरे शब्द के साथ उसका संबंध जाना जाए, वह कारक कहलाता है। संज्ञा या सर्वनाम शब्दों के साथ ने, को, से, का में आदि जो चिह्न प्रयुक्त होते हैं, विभक्ति कहलाते हैं।
जैसे: कुरुक्षेत्र के मैदान में पांडवों ने न्याय के लिए कौरवों के साथ युद्ध किया। इस वाक्य में के, में, ने, के लिए, शब्द हैं। ये सभी कारक चिह्न हैं। इन्हें विभक्ति कहते हैं।
कारक के भेद
हिंदी में कारक निम्नलिखित आठ प्रकार के होते हैं:
- 1. कर्ता कारक
- 2. कर्म कारक
- 3. करण कारक
- 4. संप्रदान कारक
- 5. अपादान कारक
- 6. संबंध कारक
- 7. अधिकरण कारक
- 8. संबोधन कारक
कारक-तालिका
| कारक | कारक चिह्न (विभक्तियाँ) |
|---|---|
| कर्ता | ने, (कोई चिह्न नहीं) |
| कर्म | को, (कोई चिह्न नहीं) |
| करण | से, के द्वारा |
| संप्रदान | को, के लिए |
| अपादान | से (पृथक् होने के अर्थ में) |
| संबंध | का, के, की, रा, रे, री, ना, ने, नी |
| अधिकरण | में, पर |
| संबोधन | हे, अरे, रे, अजी, अरी, ओ, ए |
कारकों की पहचान
वाक्यों में प्रयुक्त कारकों की पहचान के लिए यहाँ तालिका दी गई है। इस तालिका से हम कारकों की पहचान सरलता से कर सकते हैं।
| क्रिया के साथ पूछे जाने वाले प्रश्न | उत्तर में मिलने वाला कारक |
|---|---|
| कौन/ किसने /किन्होंने? | कर्ता |
| किसे/ क्या/ किसको / किनको/ कहाँ ? | कर्म |
| किससे/ किसके द्वारा/ किनके द्वारा? | करण |
| किसके लिए/ किनके लिए/ किसे/ किसको/ किनको? | संप्रदान |
| कहाँ से/ किस से/ किन से? | अपादान |
| किसका/ किसकी/ किसके/ किनका/ किनकी/ किनके? | संबंध |
| किसमें/ किनमें/ किस पर/ किन पर? | अधिकरण |
| जिसे पुकारा या संबोधित (या सचेत) किया जाए | संबोधन |
कर्ता कारक
जिससे क्रिया करने वाले का बोध होता है, उसे कर्ता कारक कहते हैं। (विभक्ति चिह्न “ने”)
- क. रोहित क्रिकेट खेलता है।
- ख. मीना ने गीत गाया।
इन वाक्यों में “खेलता है”, “गाया” क्रियाएँ हैं। रोहित, मीना और बालकों क्रमशः इन क्रियाओं को करने वाले हैं।
कर्म कारक
परिभाषाः जिस शब्द पर क्रिया के कार्य (काम/व्यापार) का फल (प्रभाव) पड़े, उसे कर्म कारक कहते हैं। (विभक्ति चिह्न “को”)
- क. राम ने रावण को मारा।
- ख. छवि पत्र लिखती है।
इन वाक्यों में “मारा”, “लिखती” क्रियाएँ हैं। रावण, पत्र और विद्यालय पर क्रमशः इन क्रियाओं का प्रभाव पड़ रहा है।
करण कारक
कर्ता जिसकी सहायता से क्रिया करता है, उसे करण कारक कहते हैं। (विभक्ति चिह्न “से” या “द्वारा”)
- क. नियोनिका कलम से पत्र लिखती है।
- ख. शिकारी ने चीते को बंदूक से मारा।
इन वाक्यों में “लिखती है”, “मारा” क्रियाएँ हैं। इन क्रियाओं को क्रमशः “कलम से”, “बंदूक से” के द्वारा किया जा रहा है।
संप्रदान कारक
जिसके लिए क्रिया की जाती है, उसका बोध कराने वाले संज्ञा अथवा सर्वनाम के रूप को संप्रदान कारक कहते हैं। (विभक्ति चिह्न “को” या “के लिए”)
- क. सूरज के लिए फल लाओ।
- ख. पिताजी माँ के लिए साड़ी लाए।
इन वाक्यों में क्रमशः दो क्रियाएँ हैं- “लाओ”, “लाए” । ये क्रियाएँ इन वाक्यों के कर्ताओं ने जिनके लिए की हैं, वे क्रमशः सूरज और माँ हैं।
अपादान कारक
संज्ञा के जिस रूप से पृथक् (अलग) होने का बोध हो, उसे अपादान कारक कहते हैं। (विभक्ति चिह्न-“से”)
- क. विद्यार्थी स्कूल से आते हैं।
- ख. पतंग बच्चे के हाथ से छूट गई।
उपर्युक्त वाक्यों की (क्रमशः) क्रियाएँ हैं- “आते हैं”, “छूट गई” ये क्रियाएँ अलग होने के अर्थ में हैं।
संबंध कारक
संज्ञा के जिस रूप से एक वस्तु या पदार्थ का दूसरी वस्तु या पदार्थ से संबंध का बोध हो, उसे संबंधकारक कहते हैं। (विभक्ति चिह्न “का, की, के, रा, री, रे”)
- क. यह मयंक का घर है।
- ख. यह राज की कार है।
इन वाक्यों में “मयंक का घर”, “राज की कार” से संबंध का बोध हो रहा है। अतः इन वाक्यों में अमित, राज और हिंदी संबंधकारक हैं।
अधिकरण कारक
संज्ञा के जिस रूप से क्रिया के आधार का बोध हो, उसे अधिकरण कारक कहते हैं। (विभक्ति चिह्न “में”, “पर”)
- क. आम में मिठास होती है।
- ख. रेखा छत पर बैठी है।
इन वाक्यों की क्रियाओं के क्रमशः आधार हैं- “आम”, “छत” ये अधिकरण कारक हैं।
संबोधन कारक
संज्ञा के जिस रूप से किसी को पुकारने या सावधान करने का बोध होता है, उसे संबोधन कारक कहते हैं। संबोधन कारक- संबोधन चिह्न- (!)
- क. हे प्रभो! सभी का भला करो।
- ख. हाय ! मैं लुट गया।
संबोधन कारकों का प्रयोग वाक्य के प्रारंभ में होता है।
करण कारक तथा अपादान कारक में अंतर
इन दोनों कारकों का विभक्ति-चिह्न “से” है, परंतु करण कारक के “से” चिह्न का अर्थ “सहायता” या द्वारा होता है जबकि अपादान कारक का चिह्न “से” पृथकता को प्रकट करता है। जैसे-
| करण कारक | अपादान कारक |
|---|---|
| सुषमा कलम से लिखती है। | खान से कोयला निकलता है। |
| वह रेल से मुंबई गया। | वह मुंबई से वापस आ गया। |
| नियोनिका कलम से पत्र लिखती है। | विद्यार्थी स्कूल से आते हैं। |
| शिकारी ने चीते को बंदूक से मारा। | पतंग बच्चे के हाथ से छूट गई। |
कर्म कारक और संप्रदान कारक में अंतर
कर्म कारक में जिस शब्द के साथ “को” जुड़ा होता है, उस पर क्रिया का फल पड़ता है। संप्रदान कारक के चिह्न “को” का अर्थ “के लिए” या “के वास्ते” होता है। जैसे-
| कर्म कारक | संप्रदान कारक |
|---|---|
| हरीश सुरेश को गणित पढ़ा रहा है। | गरीबों को भोजन दे दो। (गरीबों के लिए) |
| गुरु जी को प्रणाम करो। | वहाँ पहनने को कपड़े भी नहीं मिले। (पहनने के लिए) |
| राम ने रावण को मारा। | सूरज के लिए फल लाओ। |
संज्ञा-शब्दों के सब विभक्तियों में रूप
संज्ञा-शब्दों के रूप लिंग और वचन के अनुसार कारकों में परिवर्तित हो जाते हैं। यही रूप-परिवर्तन रूप-रचना कहलाता है।
आकारांत पुल्लिग शब्द “लड़का”
| कारक | एकवचन | बहुवचन |
|---|---|---|
| कर्ता | लड़का, लड़के ने | लड़कों ने |
| कर्म | लड़के को | लड़कों को |
| करण | लड़के से, के द्वारा | लड़कों से, के द्वारा |
| संप्रदान | लड़के को, के लिए | लड़कों को, के लिए |
| अपादान | लड़के से (पृथकता) | लड़कों से (पृथकता) |
| संबंध | लड़के का, के, की | लड़कों का, के, की |
| अधिकरण | लड़के में, पर | लड़कों में, पर |
| संबोधन | हे लड़के! | हे लड़को! |
इकारांत पुल्लिग शब्द “हाथी”
| कारक | एकवचन | बहुवचन |
|---|---|---|
| कर्ता | हाथी, हाथी ने | हाथी, हाथियों ने |
| कर्म | हाथी को | हाथियों को |
| करण | हाथी से, के द्वारा | हाथियों से, के द्वारा |
| संप्रदान | हाथी को, के लिए | हाथियों को, के लिए |
| अपादान | हाथी से (पृथकता) | हाथियों से (पृथकता) |
| संबंध | हाथी का, के, की | हाथियों का, के, की |
| अधिकरण | हाथी में, पर | हाथियों में, पर |
| संबोधन | हे हाथी! | हे हाथियो! |
बहुवचन अकारांत स्त्रीलिंग शब्द “बहन”
| कारक | एकवचन | बहुवचन |
|---|---|---|
| कर्ता | बहन, बहन ने | बहनें, बहनों ने |
| कर्म | बहन को | बहनों को |
| करण | बहन से, के द्वारा | बहनों से, के द्वारा |
| संप्रदान | बहन को, के लिए | बहनों को, के लिए |
| अपादान | बहन से (पृथकता) | बहनों से (पृथकता) |
| संबंध | बहन का, के, की | बहनों का, के, की |
| अधिकरण | बहन में, पर | बहनों में, पर |
| संबोधन | हे बहन! | हे बहनो! |
ईकारांत स्त्रीलिंग शब्द “सखी”
| कारक | एकवचन | बहुवचन |
|---|---|---|
| कर्ता | सखी, सखी ने | सखियाँ, सखियों ने |
| कर्म | सखी, सखी को | सखियों को |
| करण | सखी से, के द्वारा | सखियों से, के द्वारा |
| संप्रदान | सखी को, के लिए | सखियों को, के लिए |
| अपादान | सखी से (पृथकता) | सखियों से पृथकता |
| संबंध | सखी का, के, की | सखियों का, के, की |
| अधिकरण | सखी में, पर | सखियों में, पर |
| संबोधन | हे सखी! | हे सखियो! |






