Class 6 Hindi Grammar Chapter 16 समास (Samaas). Students can learn here about समास, समास विग्रह and समास के भेद with examples and definitions. Examples of all kinds of समास are given here. All the contents are updated for academic session 2024-25 based on latest CBSE curriculum and new NCERT Books.
कक्षा 6 के लिए हिन्दी व्याकरण पाठ 16 समास
कक्षा: 6 | हिन्दी व्याकरण |
अध्याय: 16 | समास |
Class 6 Hindi Grammar Chapter 16 समास
समास किसे कहते हैं?
जब दो या दो से अधिक शब्दों के मेल से एक नया शब्द बनाया जाता है, तो इस शब्द-रचना की विधि को “समास” कहते हैं।
घोड़े पर सवार राजा के कुमार ने सेना का पति के साथ युद्ध के लिए, भूमि में हार और जीत की परवाह किए बिना शत्रु पर हमला बोल दिया।
इसी वाक्य को अब इस रूप में पढ़ो घुड़सवार राजकुमार ने सेनापति के साथ युद्ध-भूमि में हार-जीत की परवाह किए बिना शत्रु पर हमला बोल दिया।
इस बार वाक्यों में कुछ शब्दों को संक्षिप्त करके लिखा गया है।
शब्द संक्षिप्त रूप राजा का कुमार राजकुमार, सेना का पति सेनापति युद्ध के लिए भूमि लिए भूमि युद्ध-भूमि, हार और जीत हार-जीत घोड़े पर सवार घुड़सवार शब्दों के ये संक्षिप्त रूप “समास” के उदाहरण हैं। ‘समसनम् संक्षेपीकरणम् इति समासः’ अर्थात् समास से तात्पर्य है संक्षेपीकरण।
समस्त पद
समास रचना में दो शब्द (पद) होते हैं, जिनमें पहले शब्द को पूर्व पद (पहला पद) और दूसरे शब्द को उत्तर पद (दूसरा पद) कहा जाता है। इन दोनों के मेल से बना शब्द समस्त-पद या सामासिक शब्द कहलाता है।
जैसे:
पूर्व पद उत्तर पद समस्त पद
गुरु + (के लिए) दक्षिणा = गुरुदक्षिणा
समास-विग्रह
जब सामासिक शब्द को फिर से पहले वाली अवस्था में अलग-अलग करके लिख दिया जाता है, तो इस प्रक्रिया को समास-विग्रह कहा जाता है।
जैसे:
भारतवासी – भारत का वासी
महाराजा – महान है जो राजा
समास के भेद
अर्थ के आधार पर समास छह प्रकार के होते हैं:
- तत्पुरुष समास
- अव्ययीभाव समास
- कर्मधारय समास
- द्विगु समास
- वंद्व समास
- बहुव्रीहि समास
तत्पुरुष समास
जिस समास में दूसरा पद प्रधान होता है और पहले खंड के विभक्ति चिह्नों (परसर्गों) का लोप कर दिया जाता है, उसे तत्पुरुष समास कहते हैं।
जैसे:
राजा का कुमार = राजकुमार
जेब के लिए खर्च = जेबखर्च,
तत्पुरुष समास के भेद
विभक्तियों के नामों के अनुसार छह भेद हैं:
- क. कर्म तत्पुरुष
- ख. करण तत्पुरुष
- ग. संप्रदान तत्पुरुष
- घ. अपादान तत्पुरुष
- ङ. संबंध तत्पुरुष,
कर्म तत्पुरुष समास
विग्रह | समस्त-पद |
---|---|
माखन को चुराने वाला | माखनचोर |
यश को प्राप्त | यशवी |
चिड़िया को मारने वाला | चिड़ीमार |
ग्रंथ को रचने वाला | ग्रंथकार |
स्वर्ग को प्राप्त | स्वर्गवासी |
सबको प्रिय | सर्वप्रिय |
करण तत्पुरुष समास
इसमें करण कारक की विभक्ति (से) का लोप हो जाता है। जैसे
1. तुलसी द्वारा या (से) कृत तुलसीकृत
2. मन से चाहा मनचाहा
3. जन्म से रोगी जन्मरोगी
4. अनुभव से जन्य (उत्पन्न) अनुभवजन्य
5. रेखा से अंकित रेखांकित
6. मद से अंधा – मदांध
संप्रदान तत्पुरुष समास
इसमें संप्रदान की विभक्ति (के लिए) का लोप पाया जाता है। जैसे:
- हवन के लिए सामग्री हवनसामग्री
- देश के लिए भक्ति देशभक्ति
- यज्ञ के लिए शाला यज्ञशाला
- क्रीड़ा के लिए क्षेत्र क्रीडाक्षेत्र
- राह के लिए खर्च राहखर्च
- पाठ के लिए शाला पाठशाला
- अपादान तत्पुरुष समास
इसमें अपादान कारक की विभक्ति (से) का लोप पाया जाता है। जैसे: आकाश से आई वाणी आकाशवाणी, भय से भीत भयभीत, देश से निकाला देशनिकाला, पथ से भ्रष्ट पथभ्रष्ट, गुण से हीन गुणहीन, पाप से मुक्त पापमुक्त - संबंध तत्पुरुष समास
इसमें संबंधकारक की विभक्ति (का, के, की) का लोप पाया जाता है। जैसे: मृग का शावक मृगशावक, गंगा का जल गंगाजल, राम की कहानी रामकहानी, देव का आलय (मंदिर) देवालय - अधिकरण तत्पुरुष समास
देश की रक्षा अधिकरण तत्पुरुष इसमें अधिकरण तत्पुरुष की विभक्ति (में, पर) का लोप पाया जाता है। जैसे: ग्राम में वास ग्रामवास, शोक में मग्न शोकमग्न, घोड़े पर सवार घुड़सवार
अव्ययीभाव समास
अव्ययीभाव समास का शाब्दिक अर्थ है अव्यय हो जाना। इसमें पहला खंड अव्यय प्रधान होता है और समस्तपद से अव्यय का बोध होता है। अव्ययीभाव समास में कुछ शब्द लोप हो जाते हैं और उनके बदले पहले अव्यय आ जाता है।
पूर्वपद अव्यय + उत्तरपद | समस्त पद | विग्रह |
---|---|---|
प्रति + पल | प्रतिपल | हरपल |
नि + डर | निडर | बिना डर के |
आ + जन्म | आजन्म | जन्म से |
- कर्मधारय समास
जिसका पहला खंड विशेषण और दूसरा विशेष्य हो अथवा पहला खंड उपमान और दूसरा उपमेय हो, उसे कर्मधारय समास कहते हैं।
जैसे: नील है जो कंठ नीलकंठ, चंद्र के समान मुख चंद्रमुख, पीत (पीले) हैं जो अंबर पीतांबर, महान है जो रानी महारानी, आधा है जो मरा अधमरा - द्विगु समास
जहाँ पहला पद संख्यावाचक हो और समस्त पद समूहवाचक हो, उसे द्विगु समास कहते हैं।
जैसे: चार आनों का समूह चवन्नी, चार मासों का समूह चौमासा सात दिनों का समूह सप्ताह, तीन रंगों का समूह तिरंगा, नौ रत्नों का समाहार नवरत्न - द्वंद समास
जहाँ दोनों पद प्रधान हों तथा “और” लगाने से विग्रह हो, वहाँ द्वंद समास होता है।
जैसे: सुख और दुख – सुख-दुख, दाल और रोटी दाल-रोटी, देश और विदेश – देश-विदेश, राजा और रंक – राजा-रंक, राधा और कृष्ण – राधा- कृष्ण.
बहुव्रीहि समास
जिस समास में दोनों पद प्रधान न होकर किसी तीसरे अर्थ की ओर संकेत करते हैं तथा यह तीसरा पद ही प्रधान होता है, उसे बहुव्रीहि समास कहा जाता है। जैसे:
पीतांबर – पीला है अंबर जिसका अर्थात् विष्णु
नीलकंठ – नीला है कंठ जिसका अर्थात् शिव
लंबोदर – लंबा है उदर जिसका अर्थात् गणेश