Class 7 Hindi Grammar Chapter 33 अपठित गद्यांश (Apathit Gadyansh). Learn here about how to answer the questions given in Unseen Passages and practice the passage for CBSE Exam 2024-25. All the contents are in simplified and revised form for academic session 2024-25 State boards and CBSE board students. अपठित गद्यांश are given here for practice, which provide a general idea about to give answer to the questions given on the basis of passages.
Class 7 Hindi Grammar Chapter 33 अपठित गद्यांश
कक्षा 7 हिन्दी व्याकरण पाठ 33 अपठित गदयांश
कक्षा: 7 | हिन्दी व्याकरण |
अध्याय: 33 | अपठित गदयांश |
अपठित गद्यांश किसे कहते हैं?
जो गद्यांश या पद्यांश पहले न पढ़े गए हों, जो आपकी पाठ्य पुस्तक से नहीं लिया गया हो, वे अपठित गद्यांश कहे जाते हैं। अपठित अंशों पर आधारित प्रश्नों के उत्तर छात्रों को अपनी मौलिक बुद्धि और ज्ञान के आधार पर देने होते हैं। इसलिए इनका बार-बार अभ्यास करना चाहिए। ऐसा करना छात्रों को कुशल बनाता है।
अपठित गद्यांशों पर आधारित प्रश्नों का उत्तर देने से पहले निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए:
- 1. सर्वप्रथम अपठित गद्यांश के मूलभाव को समझने के लिए उसे दो-तीन बार पढ़ना चाहिए।
- 2. पूछे गए प्रश्नों को पढ़िए तथा गद्यांश में उनके संभावित उत्तरों को रेखांकित करते जाइए।
- 3. यद्यपि पूछे गए अधिकांश प्रश्नों का उत्तर गद्यांश में ही छिपा होता है, तथापि कुछ प्रश्नों के उत्तरों में थोड़ा-बहुत अपनी ओर से भी जोड़ना पड़ता है।
- 4. प्रश्नों के उत्तर जहाँ तक संभव हों संक्षिप्त, सारगर्भित तथा अपनी भाषा में होने चाहिए।
- 5. जितना पूछा गया है, उतना ही उत्तर देना चाहिए।
- 6. शीर्षक चयन करते समय गद्यांश के प्रथम तथा अंतिम वाक्य को विशेष सावधानी से पढ़ना चाहिए।
- 7. शीर्षक से दिए गए गद्यांश का मूलभाव और उद्देश्य स्पष्ट हो जाना चाहिए।
अपठित गद्यांश- 1
स्वतंत्र भारत का सम्पूर्ण दायित्व आज विद्यार्थियों के कंधे पर है। कारण आज जो विद्यार्थी हैं, वे ही कल के भारत के नागरिक होंगे। भारत की उन्नति एवं उसका उत्थान उन्हीं की उन्नति और उत्थान पर निर्भर करता है। अतएव विद्यार्थियों को चाहिए कि वे अपने भावी जीवन का निर्माण बड़ी सतर्कता और सावधानी के साथ करें। उन्हें प्रत्येक क्षण अपने राष्ट्र, अपने समाज, अपने धर्म, अपनी संस्कृति को अपनी आँखों के सामने रखना चाहिए जिससे उनके जीवन से राष्ट्र को कुछ शक्ति प्राप्त हो सके। जो विद्यार्थी राष्ट्रीय दृष्टिकोण से अपने जीवन का निर्माण नहीं करते, वे राष्ट्र और समाज के लिए बोझ बन जाते हैं।
ऊपर लिखे हुए गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
- (क) किसी देश की उन्नति और उत्थान किन पर निर्भर करता है तथा क्यों?
- (ख) राष्ट्र को शक्तिशाली बनाने हेतु विद्यार्थियों का क्या कर्तव्य है?
- (ग) किस प्रकार के विद्यार्थी राष्ट्र एवं समाज के लिए बोझ बन जाते हैं?
- (घ) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
उत्तर
- (क) किसी भी देश की उन्नति एवं उत्थान उस देश के विद्यार्थियों पर निर्भर है क्योंकि आज के विद्यार्थी ही कल के नागरिक होते हैं।
- (ख) राष्ट्र को शक्तिशाली बनाने हेतु विद्यार्थियों को अपने राष्ट्र एवं समाज के हितों और धर्म तथा संस्कृति को सदैव अपनी आँखों के सामने रखना चाहिए।
- (ग) जो विद्यार्थी राष्ट्रीय दृष्टिकोण से अपने जीवन का निर्माण नहीं करते, वे ही समाज के लिए बोझ बन जाते हैं।
- (घ) शीर्षक- “स्वतंत्र भारत और विद्यार्थी”।
अपठित गद्यांश- 2
ज्ञान वृद्धि और आनंद की प्राप्ति का एक प्रमुख साधन अध्ययन है। वह आत्म-संस्कार के विधान का एक अंग है। किसी जाति के साहित्य में गति प्राप्त करने का कोई और द्वार नहीं है। किसी जाति के भाव और विचार साहित्य में ही व्यक्त रहते हैं तथा उसी में उसकी उन्नति के क्रम का लेख रहता है। मनुष्य जाति के सुख और कल्याण के विषय में संसार में प्रतिभा सम्पन्न लोगों ने जो सिद्धांत स्थिर किए हैं उन्हें जानने का साधन स्वाध्याय ही है। जो पढ़ता है नहीं, उसे इस बात की खबर ही नहीं रहती कि मनुष्य की ज्ञान परंपरा किस सीमा तक पहुंच चुकी है। वह और यह जानता ही नहीं कि मनुष्यों के श्रम से एक मार्ग तैयार हो चुका है।
ऊपर लिखे हुए गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
- (क) शिक्षा का क्या उद्देश्य है?
- (ख) किस प्रकार की शिक्षा व्यर्थ है?
- (ग) मनुष्य के जीवन में आत्मिक ज्ञान का क्या महत्व है?
- (घ) उपयुक्त गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
उत्तर
- (क) शिक्षा से ज्ञान की वृद्धि होती है। शिक्षा ही मनुष्य जाति के सुख और कल्याण का साधन है।
- (ख) केवल किताबी शिक्षा व्यर्थ है, व्यवहारिक तथा नैतिक मूल्यों का विकास होना अति आवश्यक है।
- (ग) अध्ययन न करने से मनुष्य को इस बात की खबर नहीं रहती कि उसकी ज्ञान परंपरा किस सीमा तक पहुंच चुकी है तथा वह अंधकार में गिरता पड़ता रहता है तथा टेढ़ी पगडंडियों में भटकता रहता है।
- (घ) “शिक्षा का उद्देश्य”
अपठित गद्यांश- 3
संस्कृति का सामान्य अर्थ है, मानव जीवन के दैनिक आचार-व्यवहार, रहन-सहन तथा क्रिया-कलाप आदि। वास्तव में संस्कृति का निर्माण एक लंबी परम्परा के बाद होता है। संस्कृति विचार व आचरण के वे नियम और मूल्य हैं जिन्हें कोई अपने अतीत से प्राप्त करता है। इसलिए कहा जाता है कि इसे हम अतीत से अपनी विरासत के रूप में प्राप्त करते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो संस्कृति एक विशिष्ट जीवन-शैली का नाम है। यह एक सामाजिक विरासत है जो परंपरा से चली आ रही होती है। प्रायः सभ्यता और संस्कृति को एक ही मान लिया जाता है, परंतु इनमें भेद हैं। सभ्यता में मनुष्य के जीवन का भौतिक पक्ष प्रधान है अर्थात् सभ्यता का अनुमान भौतिक सुख-सुविधाओं से लगाया जा सकता है। इसके लिए विपरीत संस्कृति को आत्मा माना जा सकता है। इसलिए इन दोनों को अलग-अलग करके नहीं देखा जा सकता। वास्तव में दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। इनका विकास भी साथ-साथ होता है। अंतर केवल इतना है कि सभ्यता समय के बाद बदलती रहती है, किंतु संस्कृति शाश्वत रहती है।
ऊपर लिखे हुए गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
- (क) संस्कृति का क्या अर्थ है?
- (ख) संस्कृति को विरासत का स्वरूप क्यों कहा जाता है?
- (ग) सभ्यता और संस्कृति में क्या भेद है?
- (घ) सभ्यता और संस्कृति का क्या अर्थ है?
- (ङ) गद्यांश को उचित शीर्षक दीजिए।
उत्तर
- (क) संस्कृति का सामान्य अर्थ मानव जीवन के दैनिक आचार-व्यवहार, रहन-सहन तथा क्रिया-कलाप आदि हैं।
- (ख) संस्कृति का निर्माण एक लंबी परंपरा के बाद होता है इसलिए उसे विरासत का स्वरूप कहा जाता है।
- (ग) मनुष्य की सभ्यता का अनुमान उसकी सुख-सुविधाओं से लगाया जाता है तो संस्कृति का आचार-विचार से।
- (घ) सभ्यता और संस्कृति दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। अंतर केवल इतना है कि सभ्यता समय के साथ बदलती है लेकिन संस्कृति शाश्वत रहती है।
- (ङ) “सभ्यता और संस्कृति”।
अपठित गद्यांश- 4
परोपकार से बढ़कर और कोई पुण्य नहीं है। वेदों और उपनिषदों में भी यही कहा गया है। भारतीय संस्कृति परोपकार के लिए जानी जाती है। महर्षि दधीचि ने वृत्रासुर से रक्षा करने के लिए देवताओं को अपनी अस्थियाँ दान में दे दी थीं। राजा शिवि ने कबूतर की रक्षा के लिए बाज को अपना माँस काटकर खिलाया। देश को स्वतंत्र कराने के लिए हजारों भारतीयों ने अपने प्राण त्याग दिए थे। दूसरों के कष्टों को अपना कर देखिए। कष्ट में किसी का सहारा बनकर देखिए। दु:खी व्यक्ति के दु:ख दूर हो जाने पर, उसके मुख पर आई मुस्कान के कारण यदि आप हैं तो आप से महान और कोई नहीं है।
ऊपर लिखे हुए गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
- (क) वेदों और उपनिषदों में क्या कहा गया है?
- (ख) दूसरों के लिए किस-किसने बलिदान दिए?
- (ग) महान कौन है?
- (घ) गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए।
उत्तर
- (क) वेदों और उपनिषदों में परोपकार का महत्व बताया गया है। इनमें कहा गया है कि परोपकार से बढ़कर दूसरा कोई पुण्य नहीं है।
- (ख) महर्षि दधीचि ने वृत्रासुर से देवताओं की रक्षा के लिए प्राण त्याग दिए। उनकी अस्थियों का वज्र बनाकर देवताओं ने वृत्रासुर को मारा। कबूतर की रक्षा के लिए राजा शिवि ने अपना माँस काटकर बाज को खिलाया।
- (ग) दूसरों के दुःख दूर करके उन्हें सुख देने वाला महान है।
- (घ) शीर्षक- “परोपकार”
अपठित गद्यांश- 5
सांप्रदायिकता आज हमारे देश में अत्यंत भयंकर समस्या बन गई है। यहाँ विभिन्न जाति एवं धर्म के लोग रहते हैं। संविधान ने सभी को धार्मिक स्वतंत्रता दी है। यदि सभी लोग दूसरे धर्मों के प्रति सहिष्णुता का भाव रखें तो कोई समस्या नहीं है। किंतु जब दूसरे धर्मों के प्रति घृणा और असहिष्णुता का भाव रखा जाये तो यह भावना ही सांप्रदायिकता कहलाती है जिसके कारण कई बार सांप्रदायिक दंगे भड़क उठते हैं। सांप्रदायिकता से राष्ट्र तथा समाज को बहुत बड़ी हानि उठानी पड़ती है। इससे समाज में अस्थिरता पैदा होती है। लोगों में भय, असुरक्षा, अविश्वास और सघर्ष की भावना पैदा हो जाती है। सांप्रदायिकता आपसी सद्भाव को नष्ट कर डालती है।
ऊपर लिखे हुए गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
- (क) सांप्रदायिकता से आप क्या समझते हैं?
- (ख) सांप्रदायिकता से कौन-कौन सी हानियाँ हैं?
- (ग) भारत में किस धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं?
- (घ) आधुनिक भारत की सबसे मुख्य समस्या क्या है?
- (ङ) इस अवतरण का उपयुक्त शीर्षक लिखिए।
उत्तर
- (क) विभिन्न धर्मों के लोग जब एक दूसरे के प्रति घृणा और असहिष्णुता का भाव रखें तो उसे सांप्रदायिकता कहते हैं।
- (ख) सांप्रदायिकता से सांप्रदायिक दंगे भड़क उठते हैं जिससे राष्ट्र तथा समाज को बहुत हानि होती है।
- (ग) भारत में सभी धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं।
- (घ) सांप्रदायिकता आधुनिक भारत की सबसे मुख्य समस्या है।
- (ङ) “धर्म एवं सहिष्णुता”।